दोस्तों आज हम प्रोटीन पाउडर की सच्चाई के बारे में बात करेंगे। इसलिए हो सकता है कि आज की पोस्ट थोड़ी लंबी हो जाए। लेकिन अगर यह पोस्ट आप पढ़ लेते हैं। तो मुझे यकीन है कि आपको प्रोटीन पाउडर से जुड़ी दूसरी किसी भी पोस्ट को पढ़ने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर आप प्रोटीन सप्लीमेंट का इस्तेमाल करते हैं या फिर इस्तेमाल करना चाहते हैं। तो आपके मन में यह सवाल तो आते ही होंगे कि आखिर प्रोटीन पाउडर बनता कैसे हैं। क्या प्रोटीन पाउडर को बनाने में किसी केमिकल का भी इस्तेमाल किया जाता है और प्रोटीन पाउडर का कब कैसे और कितने मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए।
दरअसल प्रोटीन एक मैक्रोन्यूट्रिएंट्स होता है। जिसकी औरत मर्द और सभी को अलग-अलग मात्रा में जरूरत होती है। यह शरीर में फैट को घटाता है और मसल को बनाने में बहुत जरूरी होता है और इतना ही नहीं प्रोटीन शरीर में नए टिशूज को बनाने और डैमेज हुए टिशूज को रिपेयर करने के साथ-साथ एंजाइम और हार्मोन के प्रोडक्शन,बाल,हड्डी और त्वचा की अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। प्रोटीन की कमी को खाने की चीजों के जरिए किस तरीकों से पूरा किया जा सकता है। इस बारे में हमने पिछली पोस्ट में डिटेल में बात की थी। जिसे आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। अब आज के इस पोस्ट में हम प्रोटीन सप्लीमेंट मतलब कि प्रोटीन पाउडर के बारे में बात करेंगे और ऐसे सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। जिसे जाने बिना किसी भी व्यक्ति को प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
प्रोटीन पाउडर बनता कैसे हैं
दोस्तों वैसे तो कुछ प्रोटीन पाउडर प्लांट्स से भी बनाया जाता है। लेकिन मार्केट में मिलने वाले सभी प्रोटीन पाउडर दूध से बने होते हैं और इन्हें बनाने के लिए दूध को फाड़ कर दो हिस्सों में किया जाता है। जिसमें मलाई वाले हिस्से से पनीर या फिर कैसीन प्रोटीन बनाया जाता है और जो नीचे पानी जैसी चीज बजती है। उससे ही व्हे प्रोटीन बनाया जाता है। लेकिन यहां एक सवाल यह भी उठता है कि जब दूध के बचे हुए पानी से ही प्रोटीन बनाया जाता है। तो क्यों ना प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए उस पानी का ही इस्तेमाल किया जाए। लेकिन यहां पर समझने वाली बात यह है कि यह जो दूध से बचा हुआ पानी होता है। इसमें प्रोटीन की बहुत ही कम मात्रा होती है और 90% से भी ज्यादा पानी मौजूद होता है।
अगर सीधी भाषा में कहा जाए तो एक स्कूप प्रोटीन पाउडर की कमी को पूरा करने के लिए लगभग 2 लीटर से भी ज्यादा यह पानी जैसी चीज पीना पड़ेगा। जो कि किसी भी साधारण व्यक्ति के लिए संभव नहीं है। जब कोई कंपनी इस दूध से बचे हुए पानी से व्हे प्रोटीन बनाती है। तो पहले इस पानी को माइक्रो फिल्ट्रेशन के जरिए फ़िल्टर किया जाता है और उसके बाद फाइनल प्रोसेस में एक ऐसी मशीन के अंदर डाला जाता है। जिसमें पानी पानी भाप बन जाता है और प्रोटीन और फैट पाउडर फॉर्म में निकल जाता है। इस प्रक्रिया से 1 किलो प्रोटीन पाउडर बनाने के लिए लगभग 100 किलो से भी ज्यादा लिक्विड की जरूरत पड़ती है।
प्रोटीन पाउडर कितने तरह का होता है और इसमें से हमें कौन सा प्रोटीन पाउडर इस्तेमाल करना चाहिए
दोस्तों फैक्ट्री से तीन तरह का व्हे प्रोटीन पाउडर बनकर निकलता है। जिसमें पहला है व्हे प्रोटीन कंसंट्रेट जो कि सबसे सस्ता होता है। क्योंकि इसमें प्रोटीन के साथ फैट और कार्बोहाइड्रेट भी काफी मात्रा में मौजूद होते हैं। दूसरा है व्हे प्रोटीन आइसोलेट। जिसमें कंसंट्रेट के मुकाबला कार्बोहाइड्रेट और फैट की मात्रा कम और जबकि प्रोटीन ज्यादा मात्रा में मौजूद होता है और इसलिए इसकी कीमत भी कंसंट्रेट प्रोटीन से ज्यादा होती है। तीसरा है व्हे प्रोटीन हाइड्रोलाइज्ड यह प्रोटीन पाउडर में सबसे ज्यादा शुद्ध और प्योर प्रोटीन पाउडर होता है। क्योंकि इसमें फैट और कार्बोहाइड्रेट पूरी तरह से निकाल दिया जाता है और जो बचता है वह हाई क्वालिटी प्रोटीन होता है।
किस तरह के प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल करना चाहिए
दोस्तों अगर ओवर ऑल क्वालिटी और बजट के हिसाब से देखा जाए तो व्हे प्रोटीन आइसोलेट सबसे ज्यादा बेहतर होता है। लेकिन अगर आपको सिर्फ वजन बढ़ाना है। तो व्हे प्रोटीन कंसंट्रेट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जबकि जो लोग साथ में जिम करते है या बॉडी फैट परसेंटेज में मेंटेन रखना चाहते हैं। तो ऐसे लोगों को व्हे प्रोटीन आइसोलेट ही इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि आइसोलेट प्रोटीन में कार्बोहाइड्रेट और फैट की मात्रा कम होती है। जबकि प्रोटीन ज्यादा मात्रा में मौजूद होता है। अगर बात की जाए व्हे प्रोटीन हाइड्रोलाइज्ड की तो यह हाई क्वालिटी प्रोटीन होने की वजह से शरीर में सबसे ज्यादा तेजी से अब्ज़ॉर्ब होता है। इसलिए इसे सिर्फ ऐसे लोगों को ही इस्तेमाल करना चाहिए। जो कि एडवांस वेट ट्रेनिंग करते हैं और किसी कंपटीशन में हिस्सा लेना चाहते हैं। लेकिन साधारण जिम करने वाले लोगों को हाइड्रोलाइज्ड व्हे प्रोटीन की बिल्कुल भी जरूरत नहीं पड़ती।
क्या प्रोटीन सप्लीमेंट में किसी केमिकल का भी इस्तेमाल किया जाता है
दोस्तों यहां हमारे और आपके लिए समझने वाली बात यह है कि कि व्हे प्रोटीन दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाला सप्लीमेंट माना जाता है। इसलिए इसमें मिलावट होने के चांस भी बहुत ज्यादा रहते हैं और खासकर उस सिचुएशन में मिलावट के चांस और भी ज्यादा बढ़ जाते हैं। जब हम जरूरत से बहुत ज्यादा सस्ते प्रोटीन की तरफ जाते हैं। वैसे सस्ता प्रोटीन खरीदना कोई बुरी बात नहीं है। लेकिन क्वालिटी पर बिना ध्यान दिए हुए। जरूरत से बहुत ज्यादा सस्ता प्रोटीन खरीदना सही विकल्प बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि शायद यह बात मुझे बताने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है कि कोई भी कंपनी बिजनेस करने और पैसा कमाने के लिए ही मार्केट में प्रोडक्ट लॉन्च करती है और इसलिए जब हम क्वालिटी नहीं प्राइस की तरफ ध्यान देते हैं। तो कंपनी के लिए मिलावट करना और भी ज्यादा आसान हो जाता है।
जब कंपनी प्रोडक्ट को सस्ता बनाने के लिए प्रोटीन में ऐसी चीजें मिला देती है। जिसकी हमारे शरीर को जरूरत भी नहीं होती। तब हम उस प्रोटीन को खरीद कर ऐसा सोचते हैं कि हमने कम पैसे में ज्यादा प्रोटीन को खरीद लिया। लेकिन हकीकत कुछ और ही होती है। इसलिए आप जब भी सस्ता या महंगा कोई भी प्रोटीन पाउडर खरीदें तो न्यूट्रीशनल लिस्ट को चेक करना बिल्कुल भी ना भूलें और अगर उसमें ग्लूटेन,आर्टिफिशियल कलर, शुगर,हाई कार्ब,हाई फैट किसी भी तरह के तेल या फिर मालतोडेक्सट्रिन जैसी चीजों का इस्तेमाल किया गया हो। तो ऐसे प्रोटीन पाउडर को बिल्कुल भी ना खरीदे। खासकर कुछ कंपनी प्रोटीन पाउडर को ज्यादा सस्ता बनाने के लिए और ज्यादा कस्टमर को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने के लिए।
मालतोडेक्सट्रिन जैसी चीजों का इस्तेमाल करती है। बेसिकली मालतोडेक्सट्रिन एक सफेद पाउडर की तरह होता है। जो कि प्रोटीन सप्लीमेंट में प्रिजर्वेटिव की तरह काम करता है और यह चीनी से कहीं ज्यादा खतरनाक होता है। जो कि शरीर में चर्बी पैदा करने के साथ-साथ पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है। साथ में साफ शब्दों में कहा जाए तो प्रोटीन पाउडर में मालतोडेक्सट्रिन का इस्तेमाल कंपनी ज्यादा मुनाफा कमाने और प्रोटीन की क्वांटिटी को बढ़ाने के लिए करते हैं। क्योंकि जब कम पैसे में कोई भी चीज मिलती है। तो लोग उसकी तरफ आकर्षित होते हैं और इसी बात का कोई भी कंपनी फायदा उठाती है। कैलकुलेशन करके देखा जाए तो एक किलो प्रोटीन की कीमत लगभग 1000 से 1500 रुपए होती है। जबकि 1 किलो मालतोडेक्सट्रिन की कीमत सिर्फ 30 से ₹40 होती है और इसी इसकी कुछ मात्रा प्रोटीन में मिला देने से। देखकर बिल्कुल भी पता नहीं लगता है कि इसमें कुछ मिलावट की गई है और ज्यादातर कस्टमर बिना इनग्रेडिएंट्स लिस्ट चेक किए हुए। सस्ता प्रोटीन समझकर खुशी-खुशी ऐसी चीजें खरीद लेते हैं।
जो कि उनके शरीर को आगे चलकर नुकसान पहुंचाने वाली होती है। इसलिए किसी भी प्रोटीन पाउडर को खरीदने से पहले उसके इनग्रेडिएंट्स लिस्ट चेक करना बिल्कुल भी ना भूलें। साथ ही साथ यह भी ख्याल रखना जरूरी है कि प्रोटीन पाउडर डुप्लीकेट ना हो। क्योंकि डुप्लीकेट प्रोटीन पाउडर के अंदर कुछ भी हो सकता है। हालांकि आगे इसी पोस्ट में हम यह भी जानेंगे कि ओरिजिनल सप्लीमेंट की पहचान कैसे की जाए और कौन सी कंपनी का प्रोटीन सबसे अच्छा होता है ,
क्या प्रोटीन पाउडर के लगातार इस्तेमाल से कोई साइड इफेक्ट भी हो सकता है
दोस्तों प्रोटीन का फायदा या नुकसान प्रोटीन की क्वालिटी पर डिपेंड करता है। जैसा कि हमने पहले भी जाना कि प्रोटीन पाउडर दूध से बनाया जाता है। इसलिए प्रोटीन पाउडर की क्वालिटी जानवर को खिलाए जाने वाले चारे जानवर की सेहत और जानवर से निकालने वाले दूध की क्वालिटी पर निर्भर करती है। अगर इनमें से किसी भी चीज के साथ मिलावट की जाए। तो प्रोटीन की क्वालिटी खुद-ब-खुद खराब हो जाएगी। जो कि शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकती है। लेकिन अगर प्रोटीन में कोई मिलावट ना हो तो और इसका एक सेहतमंद व्यक्ति सही मात्रा में इस्तेमाल करता है। तो यह शरीर को नुकसान नहीं बल्कि कई सारे फायदे पहुंचाते हैं। लेकिन हालांकि शुरुआत में प्रोटीन पाउडर के इस्तेमाल से कुछ लोगों में अपचन और कब्ज जैसी समस्या देखने को मिलती है। इसलिए ऐसे में जरूरी है कि प्रोटीन पाउडर पीने वाले लोगों को अपने हर खाने में कुछ सब्जी और सलाद को भी जरूर शामिल करना चाहिए। ताकि सही पाचन के लिए फाइबर की कमी को पूरा किया जा सके।
किन लोगों को प्रोटीन पाउडर इस्तेमाल करना चाहिए और किन लोगों को प्रोटीन पाउडर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
दोस्तों प्रोटीन हमारे शरीर में जाने के बाद लीवर में अमीनो एसिड में टूटता है और इस प्रक्रिया में जितना प्रोटीन होगा। उस हिसाब से उतना ही नाइट्रोजन गैस भी निकलता है। जोकि फिल्टर करने के लिए किडनी यानी कि हमारे गुर्दे में भेज दिया जाता है। लेकिन हमारे लिए समझने वाली बात यह है कि किडनी हमारे शरीर में दो होती है और इसलिए सही मात्रा में लिए गए प्रोटीन से निकलने वाले नाइट्रोजन वेस्ट को एक सेहतमंद किडनी आसानी से फिल्टर कर लेती है। लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि दिन भर में ढाई से 3 लीटर पानी पीने का खास ख्याल रखा जाए। लेकिन साथ ही साथ यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि जिन लोगों की किडनी पहले से ही डैमेज है। उन्हें तब तक प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जब तक कि किडनी पूरी तरीके से ठीक ना हो जाए। क्योंकि किडनी से जुड़ी समस्या में अपनी किडनी को रेस्ट देना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि प्रोटीन पाउडर के इस्तेमाल से किडनी का काम थोड़ा बढ़ जाता है। इसलिए इस समस्या को और भी ज्यादा बढ़ा सकता है।
क्या प्रोटीन पाउडर से चेहरे पर एक्ने और पिंपल्स की समस्या भी होती है
अगर चेहरे पर पहले से पिंपल्स की समस्या नहीं है। तो प्रोटीन पाउडर के सही मात्रा में इस्तेमाल करने से यह त्वचा की क्वालिटी पर बुरा असर नहीं डालता। लेकिन अगर चेहरे पर पहले से ही पिंपल से की समस्या है। तो प्रोटीन पाउडर उसे बढ़ा जरूर सकता है। क्योंकि प्रोटीन पाउडर के इस्तेमाल से शरीर में आईजीएफ 1 नाम का इंसुलिन स्पाइक होता है। जो कि त्वचा में तेल के प्रोडक्शन में गड़बड़ी पैदा करता है और जिस से पिंपल्स की समस्या और भी तेजी बढ़ने तेजी से बढ़ने लगती है। इतना ही नहीं अगर किसी व्यक्ति को पिंपल्स की समस्या होती है तो वह मास गेनर का इस्तेमाल करता है। तो यह पिंपल्स की समस्या को और भी बद से बदतर बनाता है। इसलिए जिन लोगों के चेहरे पर पहले से ही पिंपल से हैं। उनको खाने की चीजों के जरिए ही प्रोटीन की कमी को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए और अगर फिर भी प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल करना चाहते हैं। तो आइसोलेट प्रोटीन का कम मात्रा में इस्तेमाल करें।
यहां एक बात का ख्याल जरूर रखें कि प्रोटीन सप्लीमेंट बच्चों के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं होता। क्योंकि बच्चे का वजन कम होने की वजह से उनके शरीर में खाने की चीजों के जरिए ही प्रोटीन की कमी पूरी हो जाती है। इसलिए बच्चों को सप्लीमेंट के जरिए प्रोटीन देने से उनकी किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर आप चेहरे पर पिंपल्स और एकने की समस्या से जूझ रहे हैं। तो इससे जुड़े हमने पहले ही पोस्ट लिख रखे हैं। जो कि आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। यह आपके लिए काफी मददगार साबित होंगे।
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एक दिन में ज्यादा से ज्यादा कितना प्रोटीन पाउडर लेना चाहिए
दोस्तों जैसा कि हमने पहले वाली पोस्ट में जाना कि एक सामान्य व्यक्ति को लगभग 1 ग्राम पर kg बॉडी वेट के हिसाब से प्रोटीन लेना बहुत जरूरी होता है। जिसका मतलब है कि अगर किसी व्यक्ति का वजन 50 kg है। तो उसको 40 से 50 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए और अगर कोई व्यक्ति जिम या एक्सरसाइज करता है। तो प्रोटीन की मात्रा 1.5 से 2 ग्राम पर kg बॉडी वेट तक बढ़ाई जा सकती है. लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि पूरे दिन की प्रोटीन सिर्फ व्हे प्रोटीन से ही पूरी की जाए। क्योंकि किन प्रोटीन पाउडर एक सप्लीमेंट होता है और सप्लीमेंट का मतलब ही होता है. सिर्फ सपोर्ट करना।
इसलिए प्रोटीन पाउडर को प्रोटीन के प्राइमरी सोर्स की तरह बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जिसका मतलब है कि पहले जहां तक हो सके खाने की चीजों के जरिए प्रोटीन की कमी को पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए और जितना प्रोटीन बाकी रह जाए। उसे प्रोटीन सप्लीमेंट के जरिए पूरा करना चाहिए। क्योंकि एक एवरेज व्यक्ति मतलब की सामान्य व्यक्ति को दिन भर में 40 से 50 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है। इसलिए उनके लिए दिन भर में एक स्कूप प्रोटीन लेना काफी होता है। क्योंकि एक ही स्कूप प्रोटीन पाउडर को कंज्यूम करने से लगभग 24 से 28 ग्राम प्रोटीन शरीर को मिल जाता है और कुछ प्रोटीन तो हमें दाल चावल दूध अंडा मछली और चिकन जैसे खाने की चीजों के जरिए भी पूरा हो जाता है।
लेकिन अगर कोई व्यक्ति जिम या एक्सरसाइज करता है। तो एक से दो स्कूप प्रोटीन भी ले सकता है। लेकिन यहां भी इस बातें ख्याल रखना चाहिए कि जहां तक हो सके खाने की चीजों के जरिए ही प्रोटीन की कमी को पूरा करना चाहिए। जो बाकी रह जाए उसे प्रोटीन सप्लीमेंट के जरिए पूरा करना चाहिए। हमेशा ही एक बात का ख्याल रखना चाहिए कि पूरी तरीके से प्रोटीन सप्लीमेंट पर डिपेंड नहीं होना चाहिए। क्योंकि अगर खानपान ठीक ना हो तो सिर्फ अकेले प्रोटीन सप्लीमेंट कुछ भी नहीं कर सकता।
प्रोटीन पाउडर लेने का सही समय क्या है
मतलब कि सुबह शाम दोपहर एक्सरसाइज से पहले या एक्सरसाइज के बाद। दोस्तों वैसे तो प्रोटीन पाउडर का कभी भी इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन एक्सरसाइज से एक घंटा पहले या बाद में प्रोटीन पाउडर को लेना ज्यादा बेहतर ऑप्शन है। क्योंकि प्रोटीन एक्सरसाइज में ब्रेकडाउन हुए मसल्स को रिपेयर करने में बहुत मदद करता है। वैसे तो कुछ लोग एक्सरसाइज के बाद ही प्रोटीन लेना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन यहां भी ध्यान देने वाली बात यह है कि प्रोटीन एक्सरसाइज से पहले या एक्सरसाइज के बाद में शरीर पर उतना ही असर होता है। इसलिए हमें दोनों समय में जब भी सही महसूस हो तब प्रोटीन पाउडर ले सकते हैं। लेकिन अगर आप दिन भर में दो स्कूप प्रोटीन पाउडर इस्तेमाल करते हैं। तो एक स्कूप एक्सरसाइज से पहले या बाद में इस्तेमाल करें और दूसरा स्कूप सुबह या रात को सोने से आधे घंटे पहले ही इस्तेमाल करें। क्योंकि हमारे शरीर को सुबह और रात में भी प्रोटीन की जरूरत पड़ती है।
प्रोटीन को किस चीज के साथ लेना चाहिए
दूध या पानी के साथ दोस्तों व्हे प्रोटीन फास्ट डाइजेस्ट होता है। इसलिए हमें इसका इस्तेमाल एक्सरसाइज से पहले या बाद में करते हैं। तो आपको इसे पानी के साथ ही लेना चाहिए। ताकि यह आसानी से शरीर में अब्ज़ॉर्ब हो जाए। क्योंकि व्हे प्रोटीन को दूध के साथ मिलाकर पीने से इसमें दूध में मौजूद फैट इसे थोड़ा हैवी बना देता है। जिससे यह पचने में ज्यादा समय लेता है। लेकिन अगर आप इसे सुबह या रात को सोने से पहले लेते हैं। तो आप इसका इस्तेमाल दूध के साथ भी कर सकते हैं। क्योंकि सुबह या रात में शरीर को धीरे-धीरे ही प्रोटीन की जरूरत पड़ती है।
क्या प्रोटीन के ज्यादा इस्तेमाल से कोई नुकसान भी हो सकता है
इसका जवाब है बिल्कुल हो सकता है। हालकी प्रोटीन वाटर सोलुएबल होता है। इसलिए यह कार्बोहाइड्रेट और फैट की तरह शरीर में जमा नहीं होता। इसलिए प्रोटीन थोड़ा कम या ज्यादा होने से कोई समस्या नहीं होती। लेकिन जब कोई व्यक्ति जरूरत से बहुत ज्यादा मात्रा में प्रोटीन का सेवन करता है। तो इसका उस व्यक्ति की किडनी पर बुरा असर पड़ सकता है। क्योंकि शरीर में जितना प्रोटीन जाता है। वह अमीनो एसिड में टूटने के बाद नाइट्रोजन गैस भी उतना ही ज्यादा रिलीज होता है। उसे फिल्टर करने के लिए किडनी का काम बढ़ जाता है और तब किडनी को और भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। लगातार ऐसा करते रहने से किडनी डैमेज होने के चांसेस बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं। इतना ही नहीं जरूरत से ज्यादा प्रोटीन पाउडर का इस्तेमाल करने से शरीर में igf-1 इंसुलिन की मात्रा को भी काफी बढ़ा देता है। इसलिए चेहरे पर एक्ने पिंपल्स की समस्या भी शुरू हो सकती है।
किस कंपनी का प्रोटीन सबसे अच्छा होता है
दोस्तों इतनी सारी कंपनी प्रोटीन सप्लीमेंट बनाती है कि उनमें से सबसे अच्छा प्रोटीन चुनना मेरे लिए आसान बिल्कुल भी नहीं था। लेकिन फिर भी मैंने कुछ अच्छी कंपनियों के बारे में आपको बताने की कोशिश की है। लेकिन मेरे बताने के बावजूद आप जिस भी कंपनी का प्रोटीन खरीदें उसके डब्बे पर लिखी इनग्रेडिएंट्स लिस्ट को जरूर पढ़े। उसका लैब टेस्ट रिपोर्ट भी जरूर चेक करें। लैब टेस्ट रिपोर्ट के कुछ वीडियो आपको यूट्यूब पर भी आसानी से मिल जाएंगे। अगर मैं अपनी बात करूं तो मैंने अब तक सिर्फ दो कंपनी के ही प्रोडक्ट यूज की है. जिसमें पहला है ऑप्टिमम न्यूट्रिशन {on } का व्हे प्रोटीन। अगर आपका बजट अच्छा है। तो आप इस व्हे प्रोटीन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि इस प्राइस रेंज में यह इंडियन मार्केट में मौजूद वन ऑफ द बेस्ट प्रोटीन सप्लीमेंट है. हालांकि इसी प्राइस रेंज में my protein का इंपैक्ट वे प्रोटीन और dymatize का आइसो 100b अच्छे प्रोटीन की श्रेणी में आते हैं।
यह सभी आपको अलग-अलग फ्लेवर में भी मिल जाते हैं। जो कि ऐसे लोगों के लिए बेहतर होता है। जो कि स्वाद में कॉम्प्रोमाइज बिल्कुल भी नहीं करना चाहते। लेकिन यहां पर भी एक बात का ख्याल रखना जरूरी है कि किसी भी प्रोटीन में फ्लेवर बिना मिलाने के बाद वह इतना प्योर नहीं रह जाता। इसलिए हो सके तो बिना फ्लेवर वाला ही प्रोटीन इस्तेमाल करें।
दूसरा जो प्रोटीन मैंने इस्तेमाल किया है। वह asitis का व्हे प्रोटीन अगर आपका बजट कम है। तो यह प्रोटीन सप्लीमेंट एक बेहतर ऑप्शन हो सकता है। क्योंकि यह कम प्राइस में मिलने वाला सबसे अच्छा व्हे प्रोटीन सप्लीमेंट है। क्योंकि यह रॉ प्रोटीन सप्लीमेंट है। इसलिए इसे पचाने में किसी किसी व्यक्ति को दिक्कत हो सकती है। साथ ही साथ इसमें टेस्ट के लिए किसी भी तरह के फ्लेवर का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
ओरिजिनल प्रोटीन को कैसे पहचाना जाए
दोस्तों अगर आप एजइटइज कंपनी का प्रोटीन खरीदते हैं। तो इसमें डुप्लीकेट होने के चांसेस नहीं रहते क्योंकि यह प्रोटीन पहले से ही कम प्राइस में आता है. इसलिए कोई भी इसे का डुप्लीकेट प्रोटीन नहीं बनाता। लेकिन फिर भी एजइटइज व्हे प्रोटीन की ओरिजिनल चेक करना बहुत ही आसान है और इसके लिए पैकेट पर दिए गए। बारकोड को लेट्स वेरीफाई नाम के एक ऐप में स्कैन करने से आपको 5 अंकों का सीक्रेट कोड पूछेगा। जो कि आपको पैकिंग पर ही qr-code के पास मिल जाएगा। उस कोड को ऐप में एंट्री करके सबमिट में करने से यह पता चल जाएगा कि प्रोटीन असली है या नकली।
लेकिन अगर आप ऑन मतलब कि ऑप्टिमम न्यूट्रिशन का व्हे प्रोटीन खरीदते हैं। तो इसमें ओरिजिनल का पता लगाना थोड़ा मुश्किल है और क्योंकि ऑन लगभग 30 साल पुरानी और सबसे फेमस कंपनी है। तो ज्यादातर इसी कंपनी के फेक प्रोडक्ट मार्केट में देखने को मिलते हैं। लेकिन आप उनके भी प्रोडक्ट को आसानी से पहचान सकते हैं कि वह नकली है या असली। इसके लिए यह ध्यान देना जरूरी है कि on एजइटइज की तरह ही इंडिया से बाहर की तरह की कंपनी है और दो ही ऐसी कंपनी है। जो ऑन न्यूट्रीशन के प्रोडक्ट को इंडिया में लाती है। एक है Glanbia Performance Nutrition India Pvt. Ltd और दूसरी है Bright Commodities।
इसलिए ऑन प्रोटीन के डब्बे पर किसी एक का बड़ा स्टिकर जरूर लगा होता है। जो की डुप्लीकेट प्रोडक्ट में देखने को नहीं मिलता।
दूसरी बात यह है कि डब्बे पर कहीं ना कहीं एक स्क्रैच कोड होता है। जिसके जरिए स्टीकर पर दिए गए डायरेक्शन को फॉलो करते हुए यह पता लगाया जा सकता है कि प्रोडक्ट असली है या नकली और उनके प्रोडक्ट के ढक्कन के साथ एक ओरिजिनल होलोग्राम भी लगा होता है। जो कि डब्बे को हिलाने पर ग्लो करता है। लेकिन इस पोस्ट में कोई भी प्रोडक्ट स्पॉन्सर्ड नहीं है और जो भी मैंने बताया है। वह मेरे खुद का ओपिनियन हीं है। नीचे दिए गए लिंक पर जाकर यह प्रोडक्ट खरीद भी सकते हैं। लेकिन फिर भी यह आपकी मर्जी है कि आप जो चाहे जैसे चाहे प्रोटीन खरीद सकते हैं। तो मुझे उम्मीद है कि आप को इस बात का पता लग गया होगा कि व्हे प्रोटीन आपके लिए सही है या गलत। प्रोटीन का किस तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए।
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