दोस्तों बोलते समय सही शब्द का इस्तेमाल करना कभी कभी एक मुश्किल काम बन जाता है। लेकिन क्या आप या आपका कोई मित्र दुनिया के 7 लाख हकलाने वाले लोगों में से एक हैं। हकलाना कोई बीमारी नहीं है। लेकिन फिर भी यह एक ऐसी असाधारण और दुर्लभ समस्या है। जिसका प्रभाव किसी व्यक्ति के हर एकदिन पर पड़ता है। लेकिन बावजूद इसके हकलाने की समस्या को किसी भी उम्र में पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। बस जरूरत है तो कुछ आसान उपायों को अपनी जिंदगी में अपनाने की और बिना रुके लगातार रोजाना प्रयास करते रहने की। क्या आप जानते हैं कि दुनिया के कई फेमस लोगों की भी हकलाने की आदत थी।
मशहूर सिंगर ed-sheeran अपने बचपन से लेकर यंग एज मतलब कि एक लंबे समय तक हकलाया करते थे। इस आदत को उन्होंने अलग-अलग तरह की स्पीच थेरेपी और होम्योपैथी और म्यूजिक के प्रति अपने जुनून के जरिए ठीक किया।अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा और बॉलीवुड एक्टर ऋतिक रोशन भी काफी समय से हकलाने की आदत थी। इस आदत को उन्होंने कभी भी अपनी एक कमजोरी की तरह नहीं देखा और आज भी वह अपनी स्पीकिंग एबिलिटीज को सुधारने के लिए रोजाना प्रैक्टिस करते रहते हैं। आखिर हकलाने की शुरुआत होती कैसे हैं और क्यों एक व्यक्ति इसे अपनी आदत बना लेता है। कई लोगों को लगता है कि हकलाने की आदत ज्यादा सोचने चिंता करने या ज्यादा घबराने की वजह से शुरू होती है।
हकलाना कैसे ठीक करे
लेकिन यह बात पूरी तरह से सच नहीं है। हकलाने की शुरुआत ज्यादातर 2 से 5 साल की उम्र के बीच में होती है। दरअसल हकलाहट को ठीक करना और समझना मुश्किल इसलिए बन जाता है क्यों।कि जिस उम्र में इसकी शुरुआत होती है। उस उम्र में हम बोलना या बात करना सीख रहे होते हैं। ऐसे में थोड़ा बहुत अटकना या हकलाना सामान्य भी माना जाता है। लगभग 20% बच्चों की शुरुआती उम्र में हकलाहट जैसे लक्षण देखे जाते हैं। जो कि बाद में 5 से 6 साल की उम्र होने तक 75 फ़ीसदी तक ठीक हो जाते हैं. हालांकि हकलाने की आदत शर्म चिंता या घबराहट की वजह से शुरू नहीं होती।
लेकिन यह चीजें इस आदत को और भी ज्यादा बढ़ा देती है। जिसकी वजह से लंबे समय तक इसे ठीक करने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। मतलब कि पहले आप हकलाते हो जिसकी वजह से आपको स्ट्रेस होता है और आपकी नर्वसनेस बढ़ती है। फिर इस स्ट्रेस की वजह से आप और ज्यादा हकलाने लगते हो। जिससे कि स्ट्रेस और ज्यादा बढ़ जाता है। इस तरह से यह एक साइकिल की तरह चलता ही रहता है। स्टडी से पता चला है कि जिन लोगों की हकलाने की आदत होती है। उन लोगों के दिमाग के कुछ हिस्सों में ब्लड फ्लो मतलब कि खून का संचार दूसरे लोगों के मुकाबले थोड़ा अलग होता है।
जब कोई इंसान भाषण या स्पीच देता है। तो उसके हाथ में एक कागज का टुकड़ा होता है। जिसे पढ़कर वह सारी बातें बोल रहा होता है। ठीक इसी तरह जब हम अपनी रोजाना की जिंदगी में लोगों से बात करते हैं। तो किसी के द्वारा पूछे गए सवाल का सिग्नल हमारे कान के जरिए हमारे दिमाग तक पहुंचता है। दिमाग में जाने के बाद यह सिग्नल दिमाग के वर्णिक एरिया में पहुंचता है। जहां पर उस सवाल के जवाब को किस तरह और किन शब्दों में बोलना है। इस चीज का निर्माण होता है। शब्दों वाक्यों का निर्माण होने के बाद यह सिग्नल दिमाग के अगले हिस्से में मौजूद ब्रोकर्स एरिया में पहुंचता है। ब्रोकर्स एरिया वह जगह है। जहां पर तैयार वाक्य को पढ़ा जाता है और हमारे मुंह में आवाज के जरिए बाहर निकाल दिया जाता है।
जिन लोगों की हकलाने की आदत होती है। उनके दिमाग के वर्णिक एरिया में वाक्य तो बन जाता है। लेकिन ब्रोकर्स एरिया द्वारा उस वाक्य को बोलने की प्रक्रिया में समस्या पैदा होने लगती है। इसलिए जो लोग हकलाते हैं। उन्हें अपने मन में पता होता है कि उन्हें क्या बोलना है। लेकिन बोलते समय अटकने लगते हैं और जब ऐसे मे घबराहट हिचकिचाहट की की फीलिंग दिमाग में पैदा होने लगती है। तो वह इस कमजोरी को और ज्यादा बढ़ा देती है। इसमें बुरी बात यह है कि हमारे समाज में ज्यादातर लोग अक्सर हकलाने वाले लोगों को थोड़ा बेवकूफ समझते हैं। वह भी सिर्फ इस वजह से क्योंकि वह अपनी बात को ठीक तरह से बोल नहीं पाते। लेकिन असलियत में हकलाने वाले लोगों की बुद्धि इंटेलिजेंस और ज्ञान दूसरे लोगों की तरह ही होता है। अब इसमें खुशी की बात यह है कि हकलाहट की इस आदत को आसानी से ठीक भी किया जा सकता है।
जिसके लिए आज हम आपको ऐसे उपाय या टिप्स बताएंगे। जिन्हें फॉलो करके आप कम समय में हकलाने की समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पा सकेंगे और बोलते समय बिना अटके सभी बातों को आसानी से बोल पाएंगे। इसमें सबसे पहले हम जानेंगे कुछ खाए जाने वाले नुस्खों के बारे में और फिर हम बात करेंगे कुछ आसान एक्सरसाइज टेक्निक और योग के बारे में। आइए जानते हैं वह कौन-कौन सी चीजें हैं जिनका सेवन करने से हकलाने की समस्या में सुधार आता है।
हकलाने और तुतलाने को दूर करने के उपाय और नुस्ख़े
कच्चा आंवला
कच्चा आंवला ना सिर्फ हमारे दिमाग या शरीर के सेहत के लिए अच्छा होता है। बल्कि यह हमारी जीभ के टिशूज के लिए भी फायदेमंद होता है। इसका रोजाना सेवन करने से यह हमारे नर्वस सिस्टम को इंप्रूव करता है और साथ ही हमारे सोचने समझने और बोलने की क्षमता को भी बढ़ाता है। रोजाना सुबह नाश्ते या दिन के खाने के बाद एक कच्चे आंवले का सेवन जरूर करें। इसका स्वाद अच्छा बनाने के लिए आप चाहे तो एक आंवले को चार हिस्सों में काट कर। उसे रात भर नमक के पानी में भिगोकर रख दें। ऐसा करने से अगले दिन तक आंवला नरम भी हो जाता है और खाने में भी इसका स्वाद अच्छा लगता है। ताजे आंवले की जगह आंवले के जूस या फिर सूखे आंवले का सेवन भी किया जा सकता है। लेकिन इनका असर कच्चे आंवले के मुकाबले थोड़ा धीरे होता है।
काली मिर्च
इसके अलावा काली मिर्च भी हकलाहट की समस्या में काफी फायदेमंद होती है। रोजाना दिन में 1 बार एक चम्मच बटर या फिर देसी घी में एक चुटकी काली मिर्च पाउडर मिलाकर।इसका सेवन करें इससे बोल के समय अटकने की समस्या में काफी जल्दी सुधार आने लगता है।
सांस लेने का तरीका
हकलाने की आदत को ठीक करने के लिए सांस लेने का तरीका सबसे ज्यादा असरदार होता है। इसका असर आपको पहले सप्ताह में भी दिखना शुरू हो जाएगा। सामान्यतः लोग किसी शब्द को बोलते समय 3 तरह से हकलाते हैं। एक जब किसी एक जब किसी शब्द की शुरुआत में ही हकलाना या पहले लेटर पर ही अटक जाना। दूसरा किसी शब्द के बीच वाले हिस्से पर अटकना और तीसरा किसी शब्द को खत्म करते समय हकलाना शुरू कर देना। इन तीनों तरह की स्थिति में ही सांस की लेने के तरीके के जरिए सुधार लाया जा सकता है। इसके लिए हर वाक्य को बोलने से पहले एक गहरी सांस ले।अब उस पुरे वाक्य को अपने मन में अच्छे तरीके से सोच ले और फिर उस वाक्य को थोड़ा जोर से तेज आवाज में बोले। हर वाक्य को बोलने से पहले गहरी सांस लेने की इस प्रक्रिया को रोजाना 1 घंटे के लिए प्रैक्टिस करें और ज्यादा से ज्यादा उन शब्दों के इस्तेमाल करें।
जिनको बोलते समय आपको ज्यादा समस्या होती है। धीरे-धीरे आप देखेंगे जिन शब्दों को बोलते समय आप पहले हकलाया करते थे। उन्हें धीरे-धीरे आप बिना अटके आसानी से बोल पाएंगे। सांस लेने की इस प्रक्रिया को आप अपने घर के लोगों के साथ या अपने दोस्तों के बीच में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। शुरू में हो सकता है कि हर वाक्य से पहले गहरी सांस लेने की वजह से आपको अपनी पूरी बात कहने में ज्यादा समय ले। लेकिन धीरे-धीरे आप बोलने की गति में सुधार आ जाएगा।
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ज्यादा से ज्यादा बोले खुद को नोटिस करें
कई लोग अपने हकलाने की आदत से इतना परेशान हो जाते हैं कि वह लोगों से कम से कम बात करना पसंद करते हैं। कम बात करने से बोलने का मौका भी कम मिलता है। जिसके चलते हकलाने की आदत हमेशा वैसी की वैसी ही रह जाती है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा बोलने की कोशिश करें और जिन शब्दों को बोलने में आपको मुश्किल होती है। उन शब्दों का बार-बार अभ्यास करें। अगर आपको किसी दूसरे व्यक्ति के सामने बोलने या बात करने में हिचकिचाहट होती है। तो पहले थोड़े समय अकेले में अभ्यास करें। इसके लिए अपनी आवाज को मोबाइल में रिकॉर्ड करते हुए न्यूज़ पेपर पढ़ना या किताब को पढ़ना सबसे अच्छा तरीका माना जाता है। रोजाना सुबह उठने के बाद यार रात को सोने से पहले अपने मोबाइल में वॉइस रिकॉर्ड ऑन करके अपनी पसंद की किसी किताब या अख़बार को पढ़ते हुए अपनी आवाज को रिकॉर्ड कर ले।
पढ़ते समय अगर आप बीच-बीच में किसी शब्द पर हकलाना शुरू कर देते हैं। तो उस शब्द को पेन से मार्क कर ले और बाद में रिकॉर्डिंग सुनते समय उस शब्द पर ज्यादा गौर फरमाए। जहां-जहां भी आप अटकते हैं। उस शब्द को दोबारा गहरी सांस लेकर जोर से या फिर धीमी आवाज में बोलने की कोशिश करें। अगर आप उस शब्द को बिना अटके हुए बोलने में सफल हो जाते हैं। तो फिर पूरे वाक्य को दोबारा बोलकर मोबाइल में रिकॉर्ड कर ले और फिर दो से तीन बार सुनकर अपने दिमाग में उस शब्द को बोलने के सही तरीके को याद रखें। इस तरह से हम अपने दिमाग को उस शब्द के सही उच्चारण करने के तरीके का सिखा देते है। जिससे कि धीरे-धीरे हमारे अटकने की आदत सुधार में सुधार आ जाता है और फिर हम दूसरों से बात करते हुए भी पहले के मुकाबले कम हकलाते हैं।
यह तरीका बड़े-बड़े स्पीच थेरेपी सिखाने वाली कंपनियों द्वारा अपनाई जाने वाली कुछ बहुत असरदार तरकीबो में से एक है। जिसको रोजाना करने से मात्र 3 से 4 दिनों में ही आपके बोलचाल में काफी सुधार आ जाता है।
Manage Your Triggers
अकसर यह देखा गया है कि कई लोग बात करते समय हर वक्त इतना नहीं हक लाते। बल्कि कि विशेष मौके पर ही ज्यादा हकलाना शुरू कर देते हैं। उदाहरण के लिए जब आपको किसी व्यक्ति को कोई बात समझाना हो या एक्सप्लेन करना हो या किसी सीनियर पर्सनालिटी या बहुत सारे लोगों के बीच में स्पीच या प्रेजेंटेशन देनी हो। किसी नए इंसान से मिलने पर या कोई ऐसी सिचुएशन जिसकी वजह से आपको बहुत ज्यादा गुस्सा शर्म घबराहट और दुख का एहसास हो। ऐसी स्थिति में अक्सर लोग सामान्य से भी ज्यादा हकलाना शुरू कर देते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो आपको इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि यह आपके अंदर की कमजोरी नहीं है।
बल्कि यह सिर्फ और सिर्फ आपके दिमाग की वजह से हो रहा है ऐ.सा होने की वजह से उस पर्टिकुलर सिचुएशन में परेशान होने की जगह शांति से अपनी बात को धीरे-धीरे लोगों के सामने रखें। क्योंकि कई बार जल्दी या जल्दी-जल्दी या घबराहट में बोलने की वजह से भी हकलाना शुरू हो जाता है और हमारा कॉन्फिडेंस आत्मविश्वास कम हो जाता है। सांस लेने के तरीके और खुद का ऑडियो रिकॉर्ड करके सुनने से आपको शब्दों को बोलने की काफी अच्छी प्रैक्टिस तो होगी ही। साथ ही अंदर से धीरे-धीरे आत्मविश्वास भी बढ़ता जाएगा। लेकिन अपने आत्मविश्वास को तेजी से बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि आप
अजनबी लोगों से बात करें
अक्सर यह देखा गया है कि जो लोग हमारे आसपास होते हैं या हमारे हकलाने की आदत के बारे में जान चुके होते हैं। उन लोगों का सामना करना भी हमें ज्यादा पसंद नहीं होता। क्योंकि हमें उन लोगों से इतना सपोर्ट नहीं मिलता कि हम उन लोगों के साथ अपनी आदत को सुधारने की प्रैक्टिस या अभ्यास कर सकें। ऐसे में सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि अजनबीयों से बात की जाए। वैसे तो अजनबीयों से बात करना अपने आप में ही एक अलग चैलेंज होता है। लेकिन फिर भी इसे कुछ आसान तरकीब से बहुत आसान बनाया जा सकता है। सबसे पहला है कि फोन पर बात करना रोजाना दिन में 1 बार किसी भी कंपनी के कस्टमर केयर पर जरूर कॉल करें और कॉल करने से पहले यह पहले की जाने वाली बात को पूरी तरह से तैयार कर ले।
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कॉल लगाने के बाद आप अलग-अलग ऑफर्स के बारे में पूछ सकते हैं। मोबाइल के डायलर टोन या अपने नंबर को पोस्टपेड या प्रीपेड करवाने के बारे में पूछ सकते हैं। बात करते समय कोशिश करें कि आप अपने फोन में पूरी बात को रिकॉर्ड कर ले और यह भी खुद के अंदर इंप्रूवमेंट लाने का एक अच्छा तरीका होता है। इसके अलावा अजनबीयों से फेस टू फेस बात करने का सबसे आसान तरीका है कि उनसे किसी मुश्किल जगह का एड्रेस पूछ लिया जाए। ऐसे मैं आपकी थोड़ी बहुत बात भी हो जाती है और थोड़ी प्रैक्टिस भी हो जाती है। इस दौरान अगर आप बोलते हुए थोड़ा बहुत अटक भी जाते हैं। तो आप अपनी बात को दोबारा शांति से बोलने की कोशिश करें और अपने आत्मविश्वास को बिल्कुल भी कम ना होने दें। क्योंकि हो सकता है कि वह इंसान आपको दोबारा कभी भी ना मिले और ना ही आपको कभी भी याद रखें।
इसलिए वह हंसेगा या फिर कुछ सोचेगा आप इन सब चीजों को अपने दिमाग से निकाल दें और किसी भी व्यक्ति के सामने जाने पर इस बात को पूरी तरह से भूल जाएं कि आप हकलाते हैं या अटकते हैं और उन लोगों को केवल अपना अभ्यास करने का जरिया मानकर ही बात करें।
ध्यान और योग
बोलने की प्रक्रिया सिर्फ हमारे मुंह का काम नहीं होता बल्कि इसमें 90 फ़ीसदी हमारे दिमाग का काम होता है। ऐसे में दिमाग से जुड़ी किसी भी तरह की कमजोरी को दूर करने के लिए केवल योग और मेडिटेशन से ही सबसे ज्यादा असरकारक है और सबसे ज्यादा जल्दी असर दिखता है। बोलने में किसी भी तरह की परेशानी आने या हकलाहट को दूर करने के लिए कुछ विशेष प्रकार के प्राणायाम होते हैं। जिसका सीधा असर हमारे बोलने और सोचने की शक्ति पर होता है।उज्जायी प्राणायाम ,भ्रामरी प्राणायाम दोनों ही प्राणायाम खासकर हकलाने की समस्या में सबसे ज्यादा फायदेमंद होते हैं। अगर आप रोजाना इनमें से कोई एक प्राणायाम करते हैं। तो आपको शुरुआत के मात्र 10 दिनों में ही कमाल का फर्क नजर आएगा। इसकी सबसे खास बात यह है कि इन्हें करना भी बहुत आसान है।
दोस्तों हकलाना कोई बीमारी नहीं है। जिसे दवाई खाकर ठीक कर लिया जाए। इसे ठीक करने के लिए लगातार प्रयास करने और अच्छे आत्मविश्वास की सबसे ज्यादा जरूरत होती है।जिन लोगों में आत्मविश्वास मतलब कि कॉन्फिडेंस की कमी होती है।वह लोग तो वैसे भी बोलते समय अटकने लगते हैं और अगर आपकी पहले से ही हकलाने की आदत है। तो आपका डर आपकी हिचकिचाहट और आपकी घबराहट की वजह से यह आदत और भी अधिक बढ़ सकती है। लोगों के हंसने मजाक उड़ाने या नकल करने पर कभी भी ध्यान ना दें और हो सके तो खुद भी दूसरों के साथ मिलकर अपने ऊपर ही कभी कभी हंस लिया करें।
क्योंकि लोगों का काम तो सोचने का ही होता है इसलिए ज्यादातर लोग खुद अपने आप पर ध्यान देने की बजाय दूसरे लोगों को ज्यादा नोटिस करते हैं किसी के पहनावे का मजाक किसी के काले रंग का मजा किसी के मोटे या पतले होने का मजाक तो फिर किसी के हकले होने का मजाक।अगर आप ध्यान दें तो हमारे चारों और कुछ ना कुछ ऐसा चलता ही रहता है। जिसको हमें नजरअंदाज करते हुए अपना पूरा ध्यान अपने आप को सुधारने में लगाना चाहिए। कभी भी ऐसा ना सोचे कि आप एक हकलाने वाले व्यक्ति हैं और आप उम्र भर हकलाते ही रहेंगे। हमेशा यह सोचे कि मुझ में एक छोटी सी कमी है। जिसे मैं बड़ी आसानी से ठीक कर लूंगा चाहे कोई कितना ही मजाक उड़ाए। फिर भी आप ज्यादा से ज्यादा लोगों से बात करें ताकि देखते ही देखते आपकी यह समस्या अपने आप ही ठीक हो जाए। अपने दिमाग को हमेशा शांत रखें और जिंदगी में कभी भी अपने आपको दूसरों से कम ना समझे। इसी के साथ उम्मीद करता हूं आज की यह पोस्ट आपके जीवन में बहुत ही कारगर सिद्ध हो।
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