ककनमठ शिव मंदिर (Kakanmath Temple) का निर्माण 1000 साल पहले किया गया| इस मंदिर के निर्माण में बिलकुल भी चूने का उपयोग नहीं किया गया| यह बड़ी बड़ी शिलाओं से बना है| ककनमठ मंदिर अजूबे से कम नहीं है| मेने यह बात इसलिए बोली है क्यों की, इस मंदिर में उपयोग में लाने वाली शिलायें इस तरीके से लगी है जिसे देखकर आप को लगेगा की यह गिरने वाली है| ककनमठ को भूतिया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है|
यह एक ऐसा अधूरा मंदिर है जिसे देखकर आप भी कहोगे की इसे कोई इंसान नहीं बना सकता| मेरा नाम हरेश कुशवाह है और जब में इस मंदिर में घूमने के लिए गया तो यह सफर सच में बहुत यादगार था| जिसे आप लोगों के साथ शेयर कर रहा हूँ| आज भी इस मंदिर की बहुत तस्वीरें हमारे दिमाग में घूम रही है, जिसे हम भुला नहीं सकते| बताया जाता है की ककनमठ मंदिर भूतों ने बनाया था| इसलिए इस मंदिर को भूतिया मंदिर कहते है|
ककनमठ मंदिर (Kakanmath Temple) का रहस्य
इस मंदिर की हम सम्पूर्ण जानकारी देने वाले है| कब घूमना चाहिए, किस मौसम में घूमना चाहिए | इस पूरे सफर का हमने एक वीडियो भी बनाया जो हमारे इसी लेख में देखने को मिल जायेगा | और हमने बहुत तस्वीरें खींची जो आप को यही देखने को मिलेंगी|
ककनमठ मंदिर अब तक मैं अलग अलग तीन मौसम में घूमने जा चूका हूँ | आप को जो भी मौसम अच्छा लगे आप घूमने जा सकते है|
ककनमठ मंदिर घूमने के लिए हमने जो वीडियो बनाया उसमे हमने बारिश और सर्दियों का मौसम बताया है| आप को यह देखकर समझ में आ जायेगा की कौन सा मौसम सही है, जिसमे आप को घूमने जाना चाहिए|

घर और ककनमठ मंदिर के रास्ते का सफर
मैं और हमारी टीम इस मंदिर को देखने के लिए निकल पड़े| बारिश का मौसम था, हलकी बारिश हो रही थी| लेकिन इस मंदिर में घूमने का प्लान कई दिनों से बनाया था| इस कारण हम अपनी बाइक से निकल पड़े| हम बाइक से इसलिए गए क्यों की मुरैना शहर से यह बहुत पास पड़ता है| बाइक चलते समय हम अच्छे से अनुभव कर पा रहे थे की बारिश आने वाली है| लेकिन हम नहीं रुके और चलते रहे, हम साथ में ऐसा भी बेग लेकर गए जिससे बारिश होने पर हमारा सामान ना भीगे| हमने अपने साथ कैमरा, स्टंट और माइक ले लिया था| ताकि अच्छे से मंदिर की जानकारी लेकर आ सकें|
बाइक पर चलते समय हल्की बारिश होने लगी | हल्की बारिश के कारण हम नहीं रुके और चलते रहे | थोड़ी देर बाद बारिश थम गयी | लेकिन चारो तरफ का माहौल देखने लायक था मानो की स्वर्ग में आ गए है | एक तरफ मिट्टी की खुसबू और हरियाली देखकर हमारा मन और अधिक प्रसन्न हो गया| हमारे अंदर मंदिर को देखने की जिज्ञासा और अधिक बढ़ गयी|
ककनमठ मंदिर का प्रवेश द्वार
ककनमठ मंदिर के पास पहुँचने के बाद पता चला की यहाँ टिकट काउंटर नहीं है| अर्थात यहाँ आप बर्तमान समय में फ्री में घूम सकते है| यहाँ हमने यह भी देखा की यहाँ खाने पीने के लिए एक भी दूकान देखने को नहीं मिली| चारो तरफ खेत और हरियाली दिखाई दे रही थी| यहाँ अधिक खेतीबाड़ी होने के कारण चारो तरफ गांव बसे है| ककनमठ मंदिर का नाम भी आप लोगों को थोड़ा अजीब लग रहा होगा| लेकिन बताया जाता है की ककनमठ मंदिर का नाम कनक अर्थात सोना और मठ अर्थात मंदिर से लिया गया है| इसलिए इसे ककनमठ मंदिर कहा जाता है|
इस मंदिर में हमने प्रवेश किया तो हम इस मंदिर को शिखर तक देख पा रहे थे| यह मंदिर डराबना प्रतीत हो रहा था| चारो तरफ मानो कोई नहीं है| एक दम शांत बातावरण| शहर से दूर | हमने इन सभी दृश्यों को वीडियो के माध्यम से भी दर्शाया है| वह वीडियो भी आप को इसी लेख में देखने को मिल रहा होगा|
ककनमठ मंदिर कहाँ स्थित है?
ककनमठ मंदिर भारत के मध्यप्रदेश के सिहोनिया में स्थित है| इस मंदिर से थोड़ी दूर हमें गाँव भी देखने को मिलते है| यह मंदिर सभी गॉँव से दूर शांत बातावरण में स्थित है|
ककनमठ मंदिर का इतिहास
ककनमठ मंदिर बड़ी बड़ी शिलाओं से बना है| और इसमें चूने का उपयोग नहीं किया गया| हमारे कहने का मतलब यह है की बर्तमान समय में इस प्रकार का मंदिर बनाना संभव नहीं है| यह मंदिर मध्यप्रदेश के सिहोनिया में बावड़ीपुरा (Bavdipura) में स्थित है| बताया जाता है की यह मंदिर 11वीं शताब्दी का खंडित शिव मंदिर है। खंडित का मतलब यहां टूटे हुए से है| यह एक अधूरा शिव मंदिर है| बावड़ीपुरा में हमने प्रवेश किया और इस मंदिर के बारे में जानकारी लेने की कोसिस की तो पता चला यहाँ की बहुत कहानियां प्रचलित हैं| लेकिन मिली जानकारी के मुताबिक पता चला है की इस मंदिर का निर्माण कच्छपघाट शासक कीर्तिराज ने करवाया था | उनकी रानी ककनावती भगवान शिव की अनन्य भक्त थी| इस कारण ककनमठ मंदिर का निर्माण उनसके नाम पर किया गया| ककनमठ मंदिर को लेकर हमें कई लोक कथाएं सुनने को मिली|
ककनमठ मंदिर की भूतिया कहानी
कहा जाता है की ककनमठ मंदिर का निर्माण भूतों ने किया है| इसकी कहानी यह की भूतों को यह मंदिर एक ही रात में बनाना था| रात होते ही भक्तों ने काम चालू कर दिया और बड़ी बड़ी सिलायें एक के ऊपर एक रखकर इस मंदिर को बनाया| लेकिन बनाते बनाते सुबह हो गयी इस कारण भूतों को इस मंदिर को अधूरा छोड़ना पड़ा | आज भी इस मंदिर को देखने पर यह प्रतीत होता है की यह मंदिर अधूरा है| बड़ी बड़ी सिलायें इस तरीके से लगायी गयी है| मानो की इंसान के द्वारा संभव नहीं है| यह मंदिर शाम होते ही डरावना लगाने लगता है| इसलिए इस मंदिर को आज भी लोग भूतिया मंदिर बोलते है|
ककनमठ मंदिर के आसपास क्या क्या देखने को मिला
हमने इस मंदिर के गेट से प्रवेश किया तो हमें चारो तरफ पत्थर देखने को मिले| मानो की काम चल रहा है| लेकिन हमने देखा की मंदिर का निर्माण रुका हुआ है| चारो तरफ ऐसे ऐसे पत्थर है जो की मंदिर के निर्माण में उपयोग होने चाहिए थे | लेकिन बे पत्थर अभी भी मंदिर के चारो तरफ पड़े हुए है|
हम जैसे ही आगे बढ़ते है हमने मंदिर के बाहर एक एक शिव की पिंडी देखि जो की आज भी सही और सलामत है| इस मंदिर को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इस मंदिर को बिशाल मंदिर बनाया जा रहा था लेकिन इस मंदिर को बीच में ही अधूरा छोड़ा गया| इसे बनाने वाले कारीगर कैसे होंगे जिन्होंने बिना सीमेंट और चूने के इस 100 फ़ीट ऊंचे बिशाल मंदिर का निर्माण कर दिया|
हमने इस मंदिर के चारो तरफ पत्थर देखे मानो की ये पत्थर कही दूर से लाएं गए हो| यह बात मेने इस लिए बोली क्यों की रास्ते में चलते समय हमें इस तरीके के पत्थर देखने को नहीं मिले|
पहले इस मंदिर की देखरेख नहीं की जाती थी लेकिन बर्तमान समय में ककनमठ मंदिर की देखरेख की जा रही है| इस मंदिर के कुछ हिस्से टूटे हुए है| जिसे सुधारने की कोसिस की गयी लेकिन असफल रहे | बताया जा रहा है की अफसरों को भय था कि यदि मंदिर को छेड़ा गया तो यह मंदिर गिर सकता है|



Kakanmath Temple का शिखर कैसा दिखता है?
ककनमठ मंदिर (Kakanmath Temple) को हमने नजदीकी से देखने की कोसिस की और कैमरे को ज़ूम किया| इससे हमें पता चला की पत्थर एक के ऊपर एक रखे गए है| जो की देखने में ऐसा लगता है मानो की यह कभी भी गिर सकते है| लेकिन यह मंदिर इस तरीके से बनाया गया है की यह हजारों सालों से अभी भी खड़ा है| आप इसे तस्वीरों के माध्यम से भी देख सकते है|

क्या ककनमठ मंदिर में शिल्प कलाएं खंडित है?
हाँ इस ककनमठ मंदिर में बहुत शिल्प कलाएं खंडित है| बहुत शिल्प कलाएं टूटी हुयी है| जीतनी भी देवियों की शिल्प कला बनी हुयी थी बो सभी खंडित है| जिन्हे आप तस्वीरों में माध्यम से देख सकते है| यह पूरा मंदिर पत्थर से बना है और उन्ही पत्थरों में बहुत प्रकार की शिल्प कलाएं देखने को मिलती है|

ककनमठ मंदिर के अंदर क्या – क्या देखने को मिला?
हमने इस मंदिर में प्रवेश करने से पहले इसे चारो तरफ से देखा ताकि हम इस मंदिर के बारे में अधिक जान सकें| हमने मंदिर के अंदर सीढ़ियों के द्वारा प्रवेश किया | मंदिर में हमें बहुत खंबे देखने को मिलते है| हमने बचपन से सुना था की इन खम्बों को कोई गिन नहीं सकता| लेकिन हमने इन खम्बों को कई बार गिना और अंत में सफल रहे| अगर आप कभी इस मंदिर में घूमने जाएँ तो मंदिर के खम्बों को जरूर गिनना |
इस मंदिर के खम्बे बड़ी शिलाओं से बनाये गए है और ये खंबे बड़ी मजबूती के साथ खड़े है|
मंदिर के अंदर भी हमें कुछ खंडित कलाकृतियां देखने को मिली| हम ने मंदिर के अंदर शिव भगवान् की पिंडी देखि| यहां प्रत्येक दिन पूजा होती है| यह मंदिर अंदर से देखने में बहुत मजबूत लगता है| इस मंदिर के निर्माण में मजबूत पत्थरों का उपयोग किया गया है|
ककनमठ मंदिर को मुरैना शिव मंदिर भी कहा जाता है| यह मंदिर बर्तमान समय में देश-विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन चूका है| ककनमठ मंदिर के कारण बर्तमान समय में सिहोनिया स्थान प्रसिद्द है|

शर्दियों के मौसम में ककनमठ मंदिर का दृश्य कैसा होता है?
सर्दियों के मौसम में ककनमठ मंदिर घूमना एक अच्छा विचार है| इस मौसम में हम भी घूमने गए थे हमने देखा की चारो तरफ कोहरा छाया हुआ है| ठंडी ठंडी हवा चल रही है| दूर से हमें यह ककनमठ नहीं दिखाई दे रहा था| लेकिन जैसे जैसे हम ककनमठ की और बढ़ रहे थे | हमें ककनमठ दिखाई देना चालू हो गया | ककनमठ मंदिर भूतियाँ फिल्म की तरह दिखाई दे रहा था| गहरे घने कोहरे के बीच मंदिर दिख रहा था| हमें लग रहा था मानो हम एक दूसरी दुनियां में आ गये है| हमने इस दृश्य की कुछ छबियाँ यहाँ दिखाई है| जिन्हे देखकर आप भी इसका अनुभव कर सकते है| ककनमठ मंदिर घूमने के लिए सर्दियों का मौसम बहुत अच्छा है|

ककनमठ मंदिर किस मौसम में घूमने जाना चाहिए?
ककनमठ मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहाँ आप किसी भी मौसम में घूमने जा सकते है| यह मंदिर हर मौसम में खुला रहा है और यह देखने में अद्भुत्त लगता है|

ककनमठ मंदिर कैसे पहुंच सकते है|
ककनमठ मंदिर जाने के लिए आप ग्वालियर और मुरैना शहर के मार्ग से जा सकते है| यह मंदिर बावड़ीपुरा, सिहोनिया मध्य प्रदेश में स्थित है| यह मंदिर शहर से दूर बसा हुआ है| आप यहाँ सड़क मार्ग, हबाई मार्ग और रेल मार्ग से पहुँच सकते है|


ककनमठ मंदिर खुलने और बंद होने का समय क्या है?
ककनमठ मंदिर सुबह से शाम तक खुला रहता है| लेकिन शाम होते ही इस मंदिर के गेट को बंद कर दिया जाता है| शाम 6 बजे से पहले यह मंदिर बंद हो जाता है| अर्थात आप रात्रि के समय इस मंदिर में नहीं घूम सकते | रात्रि के समय इस मंदिर में घूमना शख्त मना है| कृपया आप जब भी घूमने जाए तो सुबह से निकले ताकि शाम तक अच्छे घूम सकें|
रात्री में ककनमठ मंदिर कैसा दिखता है?
रात्रि के समय यहाँ रुकना शख्त मना है| लेकिन हमने यहाँ पर पूरा वीडियो शूट किया| वीडियो शूट करते करते शाम हो गयी, शाम होते ही यह मंदिर और भी अधिक डराबना लगने लगा. चारो तरफ कोई नहीं था| पंछियों की अबाज भी नहीं आ रही थी| क्योंकि सभी पंछी भी जा चुके थे| हमें याद है जब हमने वीडियो शूट किया था तब यहाँ गॉर्ड नहीं रहते थे| लेकिन बर्तमान समय में यहाँ शाम होते ही मंदिर का गेट लगा दिया जाता है| शाम होते ही हम भी यहाँ से निकल गए|

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ककनमठ मंदिर के बारे में जरूरी जानकारी
ककनमठ मंदिर का निर्माण कब हुआ?
Ans. 11वीं शताब्दी
ककनमठ मंदिर किसने बनबाया था?
कच्छपघात शासक कीर्तिराज
ककनमठ मंदिर में किस भगवन की मूर्ति है?
भगवान शिव की पिंडी है|
ककनमठ मंदिर किस गाँव में है?
बावड़ीपुरा, सिहोनिया गावं में स्थित है|
ककनमठ मंदिर खुलने और बंद होने का समय?
ककनमठ मंदिर सुबह से शाम ६ बजे तक खुलता है|
ककनमठ मंदिर में घूमने में कितना समय लगता है?
ककनमठ मंदिर में सही तरीके से घूमने के लिए लगभग 2 से 3 घंटे लगते है|
ककनमठ मंदिर के यहाँ खाने के लिए क्या – क्या मिलता है|
ककनमठ मंदिर शहर से दूर होने के कारण यहाँ होटल नहीं है| आप मार्केटमें खाना खा सकते है| या साथ में ले जा सकते है|
क्या ककनमठ मंदिर भूतिया मंदिर है ?
ककनमठ मंदिर को भूतिया मंदिर कहा जाता है| लेकिन यहाँ हमें ऐसा बिलकुल भी नहीं लगा की यहाँ कोई भूत है| यह मंदिर बस दिखने में भूतिया है| यहाँ कोई भूत नहीं रहता|
क्या ककनमठ मंदिर के लिए टिकट लेना पड़ता है?
ककनमठ मंदिर में आप फ्री में घूम सकते हो| यहाँ किसी भी प्रकार से टिकट लेने की जरूरत नहीं है|