दोस्तों तेल एक ऐसी चीज है। जिसका खाने में इस्तेमाल करने से यह हमारे शरीर के लिए अच्छा और बुरा दोनों ही हो सकता है।क्योंकि पूरी तरह से यह इस पर निर्भर करता है कि हम कौन से तेल का किस तरह से इस्तेमाल करते हैं। तेल हमारे खाने में इस्तमाल होता है। जिसकी वजह से तेल का शुद्ध होना भी बहुत जरूरी होता है। लेकिन ज्यादातर लोगों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं होता कि गलत तरह से तेल का इस्तेमाल। गलत तरीके से करने से यह हमारे शरीर के अंदरूनी अंगों को तो नुकसान पहुंचाता ही है। साथ ही साथ इसका चेहरे और बालों की सेहत पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है।
इसलिए तेल की सही मात्रा। इसको खाने का सही समय और कौन से तेल का किस तरह से इस्तेमाल करने से क्या-क्या फायदे और क्या-क्या नुकसान होते हैं। इस बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी होता है। क्योंकि टेस्ट में बदलाव लाने के लिए लोग तेल का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके से करते हैं। जिसमें कुछ लोग तेल का इस्तेमाल रोटी और पराठे बनाने में। कुछ लोग सलाद और सब्जी बनाने में और कुछ लोग किसी भी खाने को तेल में तलकर खाना ज्यादा पसंद करते हैं। लेकिन यहां पर समझने वाली बात यह है कि अलग-अलग तरह के तेल का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके से करने से इसका शरीर पर भी अलग-अलग तरीके से असर होता है।
तेल खाने का सही तरीका
इसलिए तेल के इस्तेमाल में की गई गलतियों की वजह से। एक अच्छा खासा तंदुरुस्त व्यक्ति भी भविष्य में कई तरह की बीमारियों का शिकार हो सकता है। जैसे कि पाचन में गड़बड़ी,मोटापा,कमजोरी,हाई कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारी,सुस्ती आना,लीवर की कमजोरी चेहरे पर एक्ने पिंपल और दाग धब्बे होना,बालों का झड़ना,डायबिटीज,अर्थराइटिस और दाद और खुजली हो सकती है। त्वचा से जुड़ी कई तरह की बीमारियां सिर्फ तेल को गलत तरीके से और गलत मात्रा में इस्तेमाल करने से हो सकती है। इसलिए आज की इस पोस्ट में हम तेल के बारे में चार बातें जानेंगे।
- एक दिन में कम से कम और ज्यादा से ज्यादा कितना तेल खाना चाहिए।
- तेल का इस्तेमाल कब करना चाहिए और कब नहीं करना चाहिए।
- कौन सा तेल जैसे सरसों का तेल,नारियल तेल,घी रिफाइंड तेल और जैतून के तेल में कौन सा तेल सबसे अच्छा होता है। तेल के नुकसान से कैसे बचें और तेल को इस्तेमाल करने से होने वाले नुकसान को कैसे कम किया जा सकता है।
- एक दिन में कम से कम और ज्यादा से ज्यादा कितना तेल खाना चाहिए
एक दिन में कम से कम और ज्यादा से ज्यादा कितना तेल खाना चाहिए
चलिए शुरू करते है कि एक दिन में कम से कम और ज्यादा से ज्यादा कितना तेल खाना चाहिए। लेकिन उसके लिए हमें पहले यह जानना बहुत जरूरी होगा कि तेल में क्या-क्या होता है और तेल शरीर में जाने के बाद किस तरह से असर दिखाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दे दोस्तों 100 ग्राम तेल में पूरा का पूरा 100 ग्राम फैट होता है। इसलिए इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा जीरो होती है। साथ ही साथ इसमें विटामिंस और मिनरल्स की मात्रा भी बिल्कुल ना के बराबर होती है।
वैसे तो फैट हमारे शरीर में एनर्जी,सेल रिपेयर,हार्मोन प्रोडक्शन,ब्रेन फंक्शन और फैट सॉल्युबल विटामिंस को अब्सॉर्ब करने में बहुत जरूरी होता है। लेकिन यहां सोचने वाली बात यह है कि फैट सिर्फ तेल में ही नहीं। बल्कि हमारे द्वारा खाने में खायी जाने वाली। दूसरी कई चीजों में मौजूद होता है। जैसे कि दूध ,दही,मछली,चिकन ड्राई फ्रूट्स और चिया सीड जैसी चीजें। इन चीजों में पाए जाने वाला फैट तेल में पाए जाने वाले फैट के मुकाबले कहीं ज्यादा बेहतर होता है। इसलिए किसी भी व्यक्ति को दिन भर में दो से तीन छोटा चम्मच तेल से ज्यादा तेल का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
क्योंकि एक छोटा चम्मच तेल में लगभग चौदह ग्राम फैट होता है। तीन छोटा चम्मच तेल का इस्तेमाल करने से लगभग 42 ग्राम फैट की पूर्ति हो जाती है। जबकि एक दिन में कम से कम 45 ग्राम और ज्यादा से ज्यादा 75 ग्राम फैट से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। क्योंकि फैट हमे दूसरे खाने से भी मिल जाता है। इसलिए 1 दिन में ज्यादा से ज्यादा दो या तीन छोटे चम्मच से ज्यादा तेल का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं करना चाहिए। यही वजह है कि वजन घटाने वाले लोगों को और भी कम मात्रा में तेल का इस्तेमाल करना चाहिए।
यहां पर एक सवाल यह भी उठता है कि क्या तेल के ज्यादा इस्तेमाल करने से कोई नुकसान भी हो सकता है। दोस्तों तेल पचने में सभी खानों से ज्यादा मुश्किल होता है। इसीलिए इसे खाने के बाद यह हमारी छोटी आंत में पहुंचकर पचता है।उसके बाद अब्सॉर्ब होकर लीवर में पहुंच जाता है। फिर लीवर से यह हमारे शरीर के दूसरे हिस्से में काम में लिया जाता है। इसलिए ज्यादा मात्रा में तेल का इस्तेमाल करने से। यह हमारे लीवर और पाचन पर बहुत बुरा असर डालता है। साथ ही साथ इन्फ्लेमेशन यानी कि गर्मी का पढ़ना,चर्बी का बढ़ना और दिल की बीमारियों के चांसेस भी बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं। लेकिन अलग-अलग तरह के तेल हमारे शरीर में अलग-अलग तरह से काम करते हैं। जिसमें कुछ तेल शरीर को फायदा पहुंचाते हैं जबकि कुछ तेल बेहद ही खतरनाक और जानलेवा भी हो सकते हैं।
तेल का इस्तेमाल कब करना चाहिए और कब नहीं करना चाहिए
अब बात करते हैं। तेल का इस्तेमाल कब करना चाहिए और कब नहीं करना चाहिए। साथ ही साथ यह भी जानेंगे कि खाना बनाने के लिए कौन सा तेल सबसे अच्छा होता है। दोस्तों सुबह के नाश्ते और रात के खाने में जहां तक हो सके तेल वाली चीजों का कम से कम ही इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि जब हम सुबह उठते हैं। तो शरीर में वैसे भी बहुत कम मात्रा में एनर्जी बची होती है। क्योंकि तेल पचने में बहुत ज्यादा मुश्किल होता है। इसलिए सुबह नाश्ते में ज्यादा तेल वाली चीजों का इस्तेमाल करने से शरीर की बहुत सारी एनर्जी उस तेल को बचाने में लग जाती है। जिससे कि नाश्ते के बाद सुस्ती और थकान महसूस होने लगती है।
इसलिए हो सके तो सुबह के नाश्ते में फल सब्जी या फिर कम तेल वाली चीजों का ही सेवन करना चाहिए। उसी तरह रात के खाने के बाद सोना होता है। इसलिए खाई गई चीज पचने में बहुत ज्यादा मुश्किल होने की वजह से। यह हमारी नींद में भी खलल पैदा कर सकती है। जिससे कि नींद आने में बहुत ही मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए रात के खाने में कम से कम तेल वाली चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए और अगर आपको तेल वाली चीजों का सेवन करना ही है। तो इसका दिन के समय ही इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि दिन के वक्त हमारा पाचन ज्यादा बेहतर तरीके से काम करता है।
खाना बनाने के लिए कौन सा तेल सबसे अच्छा होता है
अब हम बात करते हैं कि खाना बनाने के लिए कौन सा तेल सबसे अच्छा होता है। किस तरह से तेल से होने वाले नुकसान को कम करके इसके पचने में हल्का बनाया जा सकता है। दोस्तों वैसे अच्छे तेल तो मार्केट में बहुत सारे मौजूद है। लेकिन जो सबसे घटिया और जानलेवा किस्म का तेल होता है। वह होता है। रिफाइंड वेजिटेबल ऑयल और अफसोस की बात यह है कि आज हमारे देश में सबसे ज्यादा इसी तेल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यहां भी यह सवाल उठता है कि आखिर रिफाइंड ऑयल इतना घटिया और खतरनाक क्यों है।
आखिर रिफाइंड ऑयल इतना घटिया और खतरनाक क्यों है
दोस्तों किसी भी तेल में तीन तरह के फैट होते हैं। सैचुरेटेड पॉलीअनसैचुरेटेड फैट्स और मोनो अनसैचुरेटेड फैट। लेकिन रिफायनिंग प्रोसेस में तेल के टेस्ट और बदबू को खत्म करने और तेल की लाइफ को बढ़ाने के लिए। अलग से कई तरह के केमिकल को मिलाकर इसको उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है। उच्च तापमान पर गर्म करने की वजह से तेल में मौजूद अनसैचुरेटेड फैट। यानी कि हल्दी फ्रेंड ट्रांसफैट में बदल जाता है। वह ट्रांसफैट शरीर में जाने के बाद मोटापा,डायबिटीज,हार्टअटैक और साथ ही साथ यह शरीर में इंफ्लमैशन यानी की गर्मी को बढ़ना और कैंसर जैसी बीमारी को भी जन्म दे सकता है।
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इंडियन मार्केट में ज्यादातर सनफ्लावर, राइस ब्रांड और सोयाबीन ऑयल,रिफाइंड के रूप में मिलता है. इसलिए जहां तक हो सके इनसे बचने की कोशिश करें। आज रिफाइंड ऑयल सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने का कारण टीवी पर आने वाले ज्यादा विज्ञापन है। जिसमें रिफाइंड ऑयल को दिल की सेहत के लिए अच्छा बचाया जाता है। जो कि पूरी तरह से झूठ और गलत है।अब बात करते हैं कि किस तरह का तेल इस्तेमाल करना चाहिए। दोस्तों हमें ऐसे तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। जिसे कोल्ड प्रेस टेक्नोलॉजी के जरिए एक्सट्रैक्ट किया गया हो। मतलब कोल्ड प्रेस टेक्निक में बीज को दबाकर या फिर क्रश करके उसे तेल निकाला जाता है।
जिससे कि इसमें मौजूद न्यूट्रिएंट्स भी नष्ट नहीं होता और अलग से इसमें केमिकल मिलाने की भी कोई जरूरत नहीं पड़ती। दोस्तों सभी तेलों में एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव आयल यानी कि जैतून का तेल और घी सबसे बेहतर होता है। लेकिन महंगा होने की वजह से मुझे पता है कि हर कोई इसे अफोर्ड नहीं कर सकता। लेकिन इसके अलावा भी सरसों का तेल,नारियल का तेल, तिल का तेल और मूंगफली का तेल सबसे अच्छे तेल की श्रेणी में आता है। लेकिन यहां पर भी एक बात का ख्याल रखना जरूरी है कि यह सभी तेल में cold-pressed टेक्निक का इस्तेमाल ही किया होना चाहिए। जो तेल तेल cold-pressed टेक्नोलॉजी का होता है। उसके डब्बे पर भी साफ-साफ लिखा होता है।
साथ ही साथ अगर आप तिल का तेल या मूंगफली का तेल का इस्तेमाल करते हैं। तो आपको ओमेगा-3 वाली चीजों को भी अपने खाने में जरूर शामिल करना चाहिए। क्योंकि यह दोनों तेल अच्छा तो होता है. लेकिन इसमें omega-6 की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। क्योंकि ओमेगा-3 के बिना इस्तेमाल करने से शरीर में इन्फ्लेमेशन एनी की गर्मी को बढ़ा सकता है। अगर आप ऐसा नहीं कर सकते। तो आप सरसों का तेल या फिर नारियल का तेल का इस्तेमाल करें।
क्योंकि इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का अनुपात दूसरे तेल के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है। इसका हीटिंग प्वाइंट भी अच्छा होने की वजह से इसे deep-fry के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन बेहतर है कि यह कि आप गर्मी के मौसम में नारियल तेल और ठंडी के मौसम में सरसों के तेल का इस्तेमाल करें। हालांकि कुछ कंपनी इस तरह के तेल में भी मिलावट कर देती है। इसलिए आप तेल को खरीदने से पहले या इस्तमाल करने से पहले उसकी क्वालिटी की जांच अवश्य करे।
अच्छी क्वालिटी के सरसों के तेल या फिर नारियल के तेल एक बात यह है कि इसे खाना बनाने के साथ-साथ चेहरे और बालों में लगाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। एक बात का ख्याल रखें कि चाहे तेल कितना भी अच्छा हो लेकिन उसे गलत तरीके से इस्तेमाल करने से। शरीर को नुकसान हीं पहुंचता है। इसलिए अब हम बात करते हैं कि किस तरह से तेल से शरीर में होने वाले नुकसान को कम करें या फिर तेल से होने वाले नुकसान से कैसे बचे।
किस तरह से तेल से शरीर में होने वाले नुकसान को कम करें या फिर तेल से होने वाले नुकसान से कैसे बचे।
दोस्तों अक्सर लोग किसी भी चीज को फ्राई करने के बाद कढ़ाई में बचे हुए तेल को संभाल कर रख देते हैं। फिर बाद में फिर से उसी तेल को इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ऐसा करना पूरी तरह से गलत है। क्योंकि तेल को गर्म करने के बाद जब वह अपने हिटिंग पॉइंट तक पहुंचता है। तो उसके बाद वह ऑक्सिडाइज होने लगता है। तेल में मौजूद अच्छे फैट ट्रांसफैट में बदलने लगते हैं। ट्रांसफैट शरीर में जाने के बाद फ्री रेडिकल,नसों की ब्लॉकेज और इन्फ्लेमेशन यानी की गर्मी को बढ़ाना शुरू कर देता है। जिससे कि दिल की बीमारी,मोटापा,डायबिटीज और यहां तक कि कैंसर जैसी बीमारी होने के चांसेस भी बहुत ज्यादा बढ़ जाते हैं।
इसलिए एक बार इस्तेमाल करने के बाद कढ़ाई में बचे हुए तेल को दोबारा इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।क्योंकि यह तेल पचने में बहुत ही मुश्किल होता है। इसलिए खीरा,अदरक,नारियल और कभी-कभी पाइनएप्पल और पपाया जैसे फल को भी जरूर खाना चाहिए। क्योंकि इन चीजों से खाने और तेल में मौजूद फैट को तोड़ने में बहुत मदद करती है। साथ ही साथ तेल में तली हुई चीजों का कम से कम मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। क्योंकि किसी भी चीज को तेल में तलने के बाद वह तेल को जरूरत से बहुत ज्यादा मात्रा में सोख लेता है। जो कि शरीर में जाने के बाद बहुत सारी दिक्कतें पैदा कर सकता है।
इसलिए आखिर में मैं सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि आप खाइए सब कुछ खाइए। लेकिन आपको अपने शरीर की लिमिट को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। जहां आप अपने टेस्ट का ख्याल रखते हैं. वही अपने सीने में धड़कने वाले दिल,दिमाग,लीवर किडनी और आंख और दूसरे अंगों का भी थोड़ा ख्याल जरूर रखें। क्योंकि यह भी आपके शरीर का ही अंग है और आपके लिए 24 घंटे बिना रुके काम करते हैं। फिर भी अगर आपको फर्क नहीं पड़ता तो आप अपने ही शरीर के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं। यहां मैं एक बात और कहना चाहूंगा कि शायद रिफाइंड ऑयल दूसरे मुकाबले के ज्यादा सस्ता हो। लेकिन इसे खाने से आप थोड़े पैसे भी बचा ले। लेकिन कहीं ऐसा ना हो कि बाद में आप अपनी सेहत गवा दे। जो आपको लाखों खर्च करने के बाद भी वापस नहीं मिलती है।
क्योंकि शायद मुझे यह बताने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है कि इस दुनिया में सेहत से बड़ी दौलत और कुछ भी नहीं होती। इस बात का एहसास लोगों को तब होता है। जब उम्र ज्यादा हो जाती है और शरीर किसी ना किसी बीमारी का शिकार हो जाता है। इसलिए किसी भी चीज को खाने से पहले आपको यह जरूर सोचना चाहिए कि आपके शरीर में जाने के बाद क्या करने वाला है। तो बस आज के लिए इतना ही शायद आपको आज का पोस्ट ज्यादा लम्बा हो गया होगा।
दोस्तों अब तक इस पोस्ट में आपने तेल खाने का सही तरीका गलत तेल शरीर में पैदा करता है गम्भीर बीमारी,एक दिन में कम से कम और ज्यादा से ज्यादा कितने तेल खाना चाहिए , तेल का इस्तमाल कब करना चाहिए और कब नहीं करना चाहिए , खाने के लिए कौन सा तेल सबसे अच्छा होता है , रिफाइंड आयल इतना घटिया और खतरनाक क्यों है , किस तरह से शरीर में तेल से शरीर में होने वाले नुकसान को कम करे , तेल से होने वाले नुकसान से कैसे बचे , के बारे में जानकारी प्राप्त की। हम उम्मीद करते है की ये जानकारी आपको पसंद आई होगी।
लेकिन फिर भी अगर आपको यह पोस्ट पसंद आया हो। तो इसे ऐसे लोगों के साथ जरूर शेयर करें। जो कि अपनी सेहत का ठीक से ध्यान नहीं रखते और अगली पोस्ट तक के लिए अपना ख्याल रखें। धन्यवाद